नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली अपने खिलाड़ियों का पूरी तरह से समर्थन करने के लिये जाने जाते हैं। उन्होंने जब से टीम की कमान संभाली है तब से मैनेजमेंट में खिलाड़ियों को मौका देने के प्रति विश्वास जताया है और खिलाड़ियों ने भी अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया है, भले ही टीम के बाहर उन खिलाड़ियों को लेकर कितनी भी आलोचनायें हो रही हों। कोहली ने यही सकारात्मक रवैया मीडिया के साथ बात-चीत के दौरान भी दिखाया जब पूरी टीम इंग्लैंड के लिये उड़ान भरने वाली थी। भारतीय टीम अपना यह दौरा विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच के साथ शुरू करेगी।
कोहली के अलावा चेतेश्वर पुजारा दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें न सिर्फ बल्कि खेल जगत के दिग्गज विशेषज्ञ भी टीम की रीढ़ मानते हैं। भारतीय टेस्ट टीम के लिये नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए पुजारा ने कई बार मैच जिताऊ पारियां खेलने का काम किया है और कठिन से कठिन परिस्थिति से टीम को बाहर निकालने का काम किया है।
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पुजारा को मॉर्डन डे राहुल द्रविड़ भी कहा जाता है जो अपने डिफेंस से गेंदबाजों को परेशान कर बड़ी पारियां खेलने के लिये मशहूर हैं। पुजारा ने अपने टेस्ट करियर के दौरान 85 टेस्ट मैचों में 46.59 की औसत से अब तक 6244 रन बनाने का काम किया है जिसमें 29 अर्धशतक भी शामिल हैं। हालांकि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआात के बाद से इस बल्लेबाज के रनों की गति में थोड़ी कमी आ गई है।
अगस्त 2019 से लेकर अब तक पुजारा 17 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और इस दौरान 29.21 की औसत से 818 रन बनाये हैं। इस दौरान पुजारा सिर्फ 9 बार ही 50 से ज्यादा का स्कोर बना सके हैं और 28 पारियों में एक भी शतक नहीं आया है। भारतीय टीम के एक ऐसे बल्लेबाज जिसकी बैटिंग पर टीम काफी ज्यादा निर्भर करती है उसके बल्ले से रनों की रफ्तार का रुक जाना टीम इंडिया के लिये चिंताजनक है।
ऐसे में अगर भारतीय टीम को विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करना है तो पुजारा को बल्ले से रन बनाकर मध्यक्रम की मजबूती दिखानी होगी। वहीं विराट कोहली की बात करें तो वो भी पिछले एक साल में कोई बड़ी पारी नहीं खेल सके जो कि पुजारा पर थोड़ा अधिक दबाव बना रही है। टेस्ट क्रिकेट में निरंतर गति से रन बनाने वाले बल्लेबाज की बात करें तो पिछले एक दशक में विराट कोहली के बाद पुजारा ने ही यह काम बखूबी किया है।
गौरतलब है कि पुजारा भले ही रनों का अंबार लगा पाने में नाकाम रहे हों लेकिन भारतीय टीम की प्लेइंग 11 की पुजारा के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। पुजारा सही मायनों में एक टेस्ट बल्लेबाज हैं जो कि मुश्किल समय पर टीम को बाहर निकालने की कला जानते हैं और उम्मीद है इंग्लैंड के खिलाफ इस दौरे पर वह अपने प्रदर्शन में निखार लायेंगे।
आपको बता दें कि इंग्लैंड में खेलते हुए पुजारा का औसत महज 29.41 का है जहां पर उन्होंने 9 टेस्ट मैच खेलकर सिर्फ 500 रन बनाने का काम किया है। भारतीय टीम इस बार पुजारा से जरूर अपेक्षा करेगी कि वो इस दौरे पर अपने इन नंबर्स को बदलने का काम करें।