लंदनः इंग्लैंड पेनाल्टी शूट आउट में क्या हार गया, वहां पर नस्लीय हिंसा का दौर शुरू हो गया। इंग्लैंड के ब्लैक खिलाड़ियों को निशाना बनाते हुए नस्लीय बर्ताव किया गया। इंग्लैंड के फैंस 1966 की वर्ल्ड कप जीत के बाद से फुटबॉल में एक बड़ी ट्रॉफी के लिए तरस रहे थे। उनको यूरो कप में इटली के खिलाफ जीत की पूरी उम्मीद थी। लंदन में माहौल बनना शुरू हो गया था कि ट्रॉफी कुछ भी हो इंग्लैंड में ही आएगी। मुकाबला भी बहुत धांसू हुआ लेकिन परिणाम इंग्लैंड के फैंस के आंसू के रूप में सामने आए। उसके बाद सड़कों पर जो अराजकता हुई वह सबके सामने है।
अब लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने रविवार को यूरो 2020 फाइनल के बाद 49 लोगों को गिरफ्तार किया। वेम्बली स्टेडियम के बाहर और मध्य लंदन में हिंसक दृश्यों के दौरान उन्नीस अधिकारी घायल हो गए।
वीडियो में देखा गया है कि बिना टिकट वाले प्रशंसक मैच से पहले वेम्बली में स्टीवर्ड्स के साथ लड़ रहे हैं और बैरियर्स को पार कर रहे हैं। दंगा करने वालों ने खेल के बाद कुछ बोतलें फेंक दीं और इंग्लैंड के हारने के बाद इतालवी विरोधी नारे लगाए।
इंग्लैंड के फुटबॉल खिलाड़ियों पर ऑनलाइन नस्लीय कमेंट के बाद फेसबुक और ट्विटर कठघरे में
ट्राफलगर स्क्वायर पर भी कई लोगों का मूड यही था जब अंग्रेजी समर्थकों ने कुछ नारे लगा-लगाकर बोतलों को तोड़ दिया और कचरे के डिब्बे को पलटना शुरू कर दिया।
ट्विटर ने कहा कि उसने 1,000 से अधिक ट्वीट्स को हटा दिया है और इटली के खिलाफ यूरो 2020 फाइनल में हार के बाद इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर "घृणित" नस्लवादी दुर्व्यवहार के बाद कई खातों को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
विशेष रूप से, मार्कस रैशफोर्ड, जादोन सांचो और बुकायो साका - तीनों ब्लैक खिलाड़ी अपनी पेनाल्टी से चूक गए -उन पर ही इंस्टाग्राम और ट्विटर पर जमकर नस्लीय प्रहार हुए। इन सबसे इंग्लैंड की फजीहत हुई है और उसके कुछ नेताओं ने फेसबुक और ट्विटर पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है।