साल 2000 में बुरे दौर से गुजर रहे थे हरभजन सिंह
हरभजन सिंह ने दादागिरी शो में बात करते हुए बताया कि जब साल 2000 में वो बुरे दौरे से गुजर रहे थे तब उस वक्त सौरव गांगुली की नजर उन पर पड़ी।
हरभजन सिंह ने गांगुली के बारे में भावुक होते हुए कहा कि अगर दादा ने 2001 में मुझे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम में मौका न दिया होता तो न जाने मेरे करियर का क्या होता। उन्होंने मुझे और मेरे करियर की जीवन दिया।
सौरव गांगुली के शो 'दादागिरी' में हरभजन ने खुलासा करते हुए बताया, 'मुझे लंबे समय तक ड्रॉप किया गया। इस सीरीज से पहले एनसीए ने भी मुझे अयोग्य ठहरा दिया। मेरा मनोबल गिरा हुआ था। उस समय कप्तान सौरव गांगुली न होते तो शायद मैं कनाडा में बस गया होता। मुझे सपोर्ट करने के लिए शुक्रिया सौरव भाई।'
हरभजन सिंह के पास विकेट लेना एकमात्र विकल्प था
हरभजन सिंह ने बताया कि दादा की वजह से भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्हें चुना गया। अनिल कुंबले चोट की वजह से बाहर थे इसलिये अंतिम-11 में भी जगह आसानी से मिल गई। हरभजन सिंह ने भी दादा के भरोसे को कायम रखा और मुंबई टेस्ट में पहली पारी में 4 विकेट झटके।
उन्होंने कहा, 'उस सीरीज में मेरे पास बहुत विकल्प नहीं थे। मुझे विकेट लेने थे वरना मैं सीरीज से बाहर हो जाता।'
ईडन गार्डन्स पर मैंने नहीं इंडिया ने हैट्रिक ली
इस टीवी शो की मेजबानी सौरव गांगुली कर रहे हैं। हालांकि हरभजन की असल वापसी तब हुई जब उन्होंने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हैट्रिक ली और ऐसा करने वाले भारतीय गेंदबाज बनें।
उन्होंने कहा, 'मेरे लिए यह अविश्वसनीय था। मेरे करियर का सबसे अहम पल था जब 2007 में हमने टी-20 वर्ल्ड कप जीता। और इसके बाद 2011 में वनडे का वर्ल्ड कप जीता। मेरे लिए यह खास पल थे। दर्शकों ने, टीम के साथियों ने इसे सेलिब्रेट किया। पहली बार मैंने राहुल द्रविड़ को सेलिब्रेट करते देखा। मैं हमेशा कहता हूं, ये मेरी नहीं इंडिया की हैट्रिक थी।'
करियर की सबसे यादगार सीरीज बना यह कमबैक
गौरतलब है कि हरभजन सिंह के लिये यह सीरीज बेहद यादगार रही। इस सीरीज में उन्होंने न सिर्फ हैट्रिक ली बल्कि 3 मैचों की 6 पारियों में 32 विकेट चटकाये। कोलकाता टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। हरभजन सिंह ने पहली पारी में 123 रन देकर 7 और दूसरी पारी में 73 रन देकर 6 विकेट हासिल किये। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की और इसके बाद हरभजन सिंह ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।