स्कॉटलैंड के टॉम बॉयड और ब्राजील के मार्सेलो में एक जैसा क्या है?
बहुत सी चीज़ें तो नहीं, लेकिन वास्तविकता यह है कि दोनों का नाम उनकी ग़लतियों की वजह से विश्व कप इतिहास के बदनाम रिकार्ड से जुड़ गया.
दोनों ने ही फुटबॉल वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में आत्मघाती या खुद अपनी टीम के ख़िलाफ़ गोल का रिकॉर्ड बनाया. वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के इतिहास में केवल ये ही दो ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी ही टीम के ख़िलाफ़ गोल करने का रिकॉर्ड बनाया है.
ब्रिटिश बॉयड बहुत पहले ही खेलों से संन्यास ले चुके हैं, वहीं ब्राजील के लेफ्ट बैक मार्सेलो रूस में टीम के साथ हैं और निश्चित ही यहां वो पिछले वर्ल्ड कप की उस ग़लती को नहीं दोहराना चाहेंगे जब आत्मघाती गोल करने वाले वो ब्राजील के पहले फुटबॉलर बने थे.
सुनील छेत्री ने की लियोनेल मेसी की बराबरी
रूस में फुटबॉल वर्ल्ड कप वाली किक गोल है
सबसे बुरा तो यह था कि ब्राजील अपने होम ग्राउंड पर ग्रुप 'ए' के मुकाबले में क्रोएशिया से खेल रहा था.
हालांकि इस शुरुआती गोल का मैच पर खास प्रभाव नहीं पड़ा और ब्राजील ने इसे 3-1 से जीत लिया.
रियल मैड्रिड के खिलाड़ी मार्सेलो ने राहत की सांस लेते हुए तब कहा था, "मुझे शांत रहना पड़ेगा. यह काफी दुखद है. 11वें मिनट में मैंने अपनी टीम की परिस्थिति ख़राब बना दी. दर्शक मेरा नाम चिल्लाने लगे थे."
इसके उलट टॉम बॉयड को आत्मघाती गोल के बाद राहत नहीं मिली थी क्योंकि उसकी वजह से स्कॉटलैंड पर ब्राजील को 2-1 की जीत मिल गई थी.
फीफा के मुताबिक, पहले वर्ल्ड कप 1930 से लेकर 2014 तक 2,300 गोल किए गए हैं. इनमें आत्मघाती गोल की संख्या 41 है.
फुटबॉल के मैदान पर यह विरले होने वाली घटना है लेकिन ऐसा करने वाली टीम के लिए आत्मघाती.
वर्ल्ड कप के मैदान में अपने ही पाले में गोल दागने वालों के साथ दुखद घटनाएं हो चुकी हैं.
1994 में वर्ल्ड कप के दौरान कोलंबिया के डिफेंडर आंद्रे एस्कोबार ने अमरीका के ख़िलाफ़ खेलते हुए आत्मघाती गोल कर दिया था जिससे उनकी टीम 2-1 से हार गई थी, इसके एक हफ्ते बाद ही मेडेलिन में नाइटक्लब के बाहर गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी.
इस गोल की वजह से दक्षिण अमरीकी टीम उस टूर्नामेंट के पहले ही दौर से बाहर हो गई थी.
एस्कोबार को कोलंबिया के ड्रग्स कार्टेल के सदस्य गैलोन ब्रदर्स के बॉडीगार्ड हमबर्टो ने गोली मारी थी, रिपोर्टस के मुताबिक कोलंबिया के वर्ल्ड कप में सफलता को लेकर उन्होंने बड़ी रकम दांव पर लगाई थी.
एक लाख 20 हज़ार से अधिक लोगों ने एस्कोबार की शव यात्रा में भाग लिया.
अब तक खेले गए सभी वर्ल्ड कप में से केवल 1934, 1958, 1962 और 1990 के संस्करणों में ही आत्मघाती गोल देखने को नहीं मिले हैं.
फ्रांस में खेले गए 1998 के वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा छह आत्मघाती गोल देखने को मिले. इसमें ब्राजील के ख़िलाफ़ मैच में किया गया बॉयड का गोल भी शामिल है.
2014 के वर्ल्ड कप मुकाबलों में भी पांच गोल दागे गए, इनमें से दो गोल तो फ्रांस के दो अगल अगल मैचों के दौरान किए गए और होंडुरास और नाइजीरिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा.
अब क्या रूस में (1998 का) फ्रांस का वो रिकॉर्ड टूट सकता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
एक मजेदार आंकड़ा यह भी है कि फ्रांस ही एकमात्र ऐसी वर्ल्ड कप विजेता टीम है जिसने वर्ल्ड कप के दौरान कभी आत्मघाती गोल नहीं किए.
इतना ही नहीं, इटली और जर्मनी के साथ ही फ्रांस को वर्ल्ड कप के दौरान आत्मघाती गोल का सबसे अधिक चार बार फायदा भी मिला है.
1. एक ही टूर्नामेंट (1996) में दो आत्मघाती गोल
2. मैक्सिको और स्पेन के साथ ही तीन बार आत्मघाती गोल करने का रिकॉर्ड
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)