दूसरे प्रयास में भारत के लिए गोल्ड साध दिया-
जैसे ही दूसरा अटैम्पट आया तो नीरज ने वह भला फेंका जिसने उनको गोल्ड मेडल दिलाया और यह था 87.58 मीटर की दूरी तय करने वाला भाला। नीरज का जलवा इस कदर कायम था कि कोई भी खिलाड़ी लंबे समय तक 85 मीटर को भी नहीं छू सका। चेक रिपब्लिक के खिलाड़ी जैकब को सिल्वर मेडल मिला है जिन्होंने 86.67 मीटर का भाला फेंका है जबकि चेक रिपब्लिक के ही एक और खिलाड़ी वेसली को ब्रोंज मेडल मिला है और उन्होंने 85.44 मीटर का भाला फेंका है।
पाकिस्तान के अरशद नदीम के साथ नीरज की प्रतिबद्धता की काफी बातें हो रही थी, वह 84.62 मीटर का भाला फेंक कर पांचवें स्थान पर रहे।
बिरयानी और गोलगप्पों के स्वाद की मौज के बाद हवा में खूब उड़ता है नीरज चोपड़ा का भाला
भारत खेल की सबसे बड़ी हस्ती बनकर उभरे बांके नौजवान नीरज-
नीरज जैसे-जैसे भला लेकर आगे बढ़ रहे थे लग रहा था मानो एक विशाल युद्ध में कई करोड़ भारतीयों के सबसे वीर सैनिक हैं। इसके साथ ही यह भारत का टोक्यो ओलंपिक में सातवां मेडल था जिसने लंदन ओलंपिक के 6 मेडल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। यह ओलंपिक के इतिहास में भारत का 10वां गोल्ड मेडल था, और ऐसा केवल दूसरी बार हुआ है जब व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत ने गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में 2008 बीजिंग में ऐसा किया था। जबकि हॉकी में भारतीय टीम ने 8 गोल्ड मेडल जीते हुए हैं।
नीरज चोपड़ा की कद काठी, उनका बांका पन, उनके भीतर का स्टारडम और उनको लेकर हो रही चर्चा ने इस खिलाड़ी को ऐसी हाईप दे दी थी जिस पर अगर वे खरे ना उतरते तो सबसे ज्यादा निराशा शायद नीरज को ही होती।
किस्मत भी आज नीरज के साथ थी-
नीरज मेडल जीतेंगे इस बात की उम्मीद तो बहुत ज्यादा थी लेकिन वह मेडल निश्चित तौर पर गोल्ड ही होगा, यह सोचना थोड़ा सा मुश्किल लगता था। हालांकि उनके पिता ने पहले ही साफ कर दिया था नीरज केवल गोल्ड लेकर आएगा। ओलंपिक दुनिया का सबसे बड़ा खेल इवेंट है यहां पर आपकी स्पर्धा अपने आप से नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों से होती है।
नीरज का भी मुकाबला यहां पर जर्मनी के कट्टर प्रतिद्वंदी वेट्टर जोहान्स से था जो कई बार 90 मीटर से ऊपर का भला फेंक चुके हैं लेकिन वे यहां पर चोटिल हो गए और नीरज के आसपास कोई भी फटक नहीं सका। शायद जोहान्स चोटिल ना भी होते तो भी नीरज को टक्कर देने वाला आज कोई नहीं था क्योंकि यह दिन ही भारत का था, यह दिन ही नीरज का था।
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'बाहुबली, हम सब तुम्हारी सेना में शामिल है'
नीरज को लेकर भारत के उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ठीक ही कहा है कि, बाहुबली हम सब तुम्हारी सेना में शामिल है।
वाकई में जिस तरीके से नीरज आगे बढ़े और अपना भला फेंक कर गिरते, फिर तुरंत उठ कर अपने हाथ ऊपर उठाते, तो ऐसा लगता था जैसे देश की तमाम आकांक्षाओं को विजय का निशान दिखा रहे हैं।
नीरज चोपड़ा का घर पानीपत के खंडरा गांव में एक धूल भरी गली में है जहां पर आधी अधूरी ही आबादी है लेकिन उम्मीद है कि अब सब चीजें बहुत तेजी से बदल जाएंगी।
वजन कम करने गए बच्चे ने करोड़ो उम्मीदों का भार ढोकर दिखाया-
नीरज का खिलाड़ी बनने का सफर आसान नहीं था क्योंकि वे बहुत कम उम्र में ही बहुत अधिक वजन के थे। 11 साल की उम्र में ही यह लड़का 90 किलो का था जिसके चलते उनके परिवार को उन्हें जिम भेजना पड़ा और जिम पानीपत में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का था। किसी ने नहीं सोचा था कि वहां पर रहकर एथलीट बन जाएंगे। वे तो केवल वजन कम करने गए थे लेकिन आज उन्होंने भारत से इस तकलीफ का भार कम कर दिया कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाला यह देश कभी भी एथलेटिक्स में मेडल क्यों नहीं जीत पाता है।
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टोक्यो से भारत सिर ऊंचा करके लौट सकता है-
टोक्यो ओलंपिक भारत के लिए बहुत बड़ा गौरवशाली इवेंट रहा है क्योंकि इस बार ऐसे कई कारनामे हुए हैं जिन्होंने भविष्य में आने वाले ओलंपिक में देश के लिए बहुत मजबूत नींव रखी है।
निश्चित तौर पर नीरज के लिए बड़े इनामों की बौछार होने वाली है। हरियाणा सरकार ने पहले ही अपनी पॉलिसी निर्धारित कर रखी है कि गोल्ड मेडलिस्ट को 6 करोड रुपए दिए जाते हैं और क्लास वन कैटेगरी की जॉब ऑफर की जाएगी। पर नीरज का यह कारनामा किसी इनाम, किसी नौकरी या कोई मैटेरियल हासिल करने से बहुत ज्यादा बड़ा है। नीरज के कारनामे की गाथाएं लंबे समय तक दोहराई जाएंगी क्योंकि एथलेटिक्स खेल का सबसे विशुद्ध रूप है। यहां आपके बाहुबल, आपकी मानसिक क्षमता और आप के कड़े अनुशासन का इम्तिहान होता है।