नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो में जारी पैरालंपिक्स खेलों में रविवार को भारतीय दल के नाम रहा जिन्होंने खेल दिवस के मौके पर एक, दो नहीं बल्कि देश की झोली में तीन पदक डाले। रविवार को भारत के विनोद कुमरा ने भी इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराते हुए पुरुषों कि F52 डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीत कर तीसरा पदक दिलाया। टोक्यो पैरालंपिक्स के 5वें दिन भारत की शुरुआत बेहद शानदार हुआ जिसमें भवानी पटेल ने सिल्वर मेडल जीत कर पदकतालिका में भारत का खाता खोला, तो वहीं पर शाम को निषाद कुमार ने ऊंची कूद में सिल्वर मेडल हासिल कर देश को दूसरा पदक दिलाया।
निषाद कुमार के पदक जीतने के कुछ देर बाद ही विनोद कुमार ने देश के पदकों की संख्या को दो से 3 कर दिया और पैरालंपिक्स खेलों का पहला ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। इस दौरान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर का थ्रो किया और अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो करते हुए एशियाई रिकॉर्ड भी अपने नाम किया और तीसरे पायदान पर रहते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता।
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पैरालंपिक्स खेलों में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4 पदकों का रहा है जो उसने 2016 के रियो पैरालंपिक खेलों के दौरान हासिल किया था और टोक्यो में एक ही दिन में 3 पदक हासिल कर वह अपने सबसे ज्यादा पदकों की संख्या की बराबरी करने से महज एक पदक दूर हैं। डिस्कस थ्रो में पोलैंड के पियोत्र कोसेविजविन ने विनोद को पीछे छोड़कर सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
गौरतलब है कि भारत के लिये टोक्यो पैरालंपिक्स के तीनों पदक नेशनल खेल दिवस के मौके पर आया जो कि खेल दिवस को और भी प्रासंगिक बनाती हैं। आपको बता दें कि विनोद कुमार भारतीय सीमा सुरक्षा बल के पूर्व जवान हैं जो कि एक हादसे का शिकार हुए थे, जिसके बाद उनका शरीर लकवाग्रस्त रहा और एक दशक से ज्यादा समय तक बिस्तर पर रहने को मजबूर रहे।
विनोद ने अपने जीवन में ढेरों चुनौतियों का सामना किया है लेकिन बाद में पैरा स्पोर्टस से प्रेरित हो कर उन्होंने अपनी किस्मत को एक नया मुकाम देने की ठान ली लेकिन यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। विनोद ने रियो में आयोजित किये गये 2016 के पैरालंपिक्स खेलों से प्रेरणा ली और खेलों में किस्मत आजमाने की शुरुआत की और बहुत जल्द ट्रेनिंग शुरू कर दी।