अंपायर ने मुरलीधरन के एक्शन पर उठाये थे सवाल
यह बात साल 1999 की है जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर श्रीलंका की टीम टेस्ट सीरीज खेलने पहुंची थी। इस सीरीज के बाद श्रीलंका की टीम को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ वनडे मैच की त्रिकोणीय सीरीज खेलनी थी। इसी सीरीज के तहत इंग्लैंड-श्रीलंका की टीम एक-दूसरे से एडिलेड के मैदान पर भिड़े थे। इंग्लैंड की टीम पहले बल्लेबाजी कर रही थी और 15 ओवर के खेल के बाद कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने अपने स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन को गेंदबाजी सौंपी।
मुरलीधरन ने शानदार गेंदबाजी की लेकिन जैसे ही 18वें ओवर की पांचवी गेंद उन्होंने डाली तो अंपायर रॉस इमरसेन ने उसे नो बॉल करार दिया। कारण पूछने पर अंपायर ने मुरलीधरन के एक्शन को अवैध बताया, जिससे कप्तान रणतुंगा बिफर गये और अपनी पूरी टीम को पिच के पास बुला लिया।
गुस्से में बाउंड्री लाइन पर टीम के साथ पहुंच गये रणतुंगा
श्रीलंकाई कप्तान ने अंपायरों के सामने अपना पक्ष रखा और साफ किया कि मुथैया मुरलीधरन को आईसीसी की ओर से क्लीन चिट मिली हुई है और उनका एक्शन एकदम सही है। उल्लेखनीय है कि अंपायर रॉस इमरसेन ने इस मैच से पहले 5 जनवरी 1996 को भी मुरलीधरन के एक्शन को अवैध बताते हुए नो बॉल दी थी। इसके बाद मुरलीधरन ने साल 1996 वर्ल्ड कप से पहले हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में अपने गेंदबाजी एक्शन की जांच कराई, जिसमें उन्हें क्लीन चिट मिली थी। इस घटना से ठीक 10 दिन पहले मेलबर्न टेस्ट के दौरान अंपायर डैरेल हेयर ने भी मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल उठाये थे और नो बॉल करार दिया था।
इस त्रिकोणीय सीरीज में अंपायर रॉस इमरसेन का पहला मैच था और उन्होंने पहले ही ओवर में 3 गेंदों को नो बॉल करार दिया था और जैसे ही उन्होंने एक बार फिर से मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल उठाये तो अर्जुन रणतुंगा भड़क गये और अपनी पूरी टीम के साथ मैदान की बाउंड्री लाइन पर खड़े हो गए।
रणतुंगा ने अंपायर के खिलाफ कर दी बगावत, मैच रद्द होने की आ गई नौबत
अंपायर के फैसले के खिलाफ श्रीलंकाई कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने मैदान पर ही बगावत करने का फैसला किया और मैच छोड़ने को तैयार हो गये थे। रणतुंगा का मानना था कि मुरलीधरन को आईसीसी की ओर से क्लीन चिट मिली हुई थी तो ऐसे में वह अपने युवा गेंदबाज का समर्थन क्यों न करे, फिर चाहे उन्हें पूरी तरह से मैच ही क्यों न छोड़ना पड़ा।
रणतुंगा मैच को बीच में छोड़ने के मैदान के बाहर जाने को तैयार थे लेकिन अंत में श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी उनसे बात करने आए और अपने बोर्ड के अध्यक्ष से बात करने के बाद ही उनकी टीम खेलने को राजी हुई और मैदान पर वापस लौटी। एडिलेड के मैदान पर खेले गये इस मैच में श्रीलंका की टीम ने इंग्लैंड को रोमांचक तरीके से 1 विकेट से हराया और 2 गेंद पहले 303 रनों के विशाल स्कोर खड़ा किया।
रोमांचक तरीके से श्रीलंका ने जीता मैच, रणतुंगा को होना पड़ा सस्पेंड
एडिलेड में खेले गये इस मैच में श्रीलंका के लिये सनथ जयसूर्या ने महज 36 गेंदों में 51 रन की अर्धशतकीय पारी खेली और महेला जयवर्धने ने 111 गेंदों में 120 रनों की पारी खेली। अंत में मुरलीधरन ने विक्रमसिंघे के साथ श्रीलंका की टीम को जीत दिलाई। हालांकि मैच के बाद कप्तान अर्जुन रणतुंगा को अंपायरों के साथ अपने बर्ताव के लिये एक मैच का बैन झेलना पड़ा था, साथ ही मुरलीधरन के एक्शन की जांच कराने की बात कही गई।
पर्थ में मुरलीधरन के एक्शन की जांच हुई और एक बार फिर उन्हें क्लीन चिट मिली। इतना ही नहीं आईसीसी ने उन्हें एक्शन में सुधार करने की बात भी नहीं कही। इस रिजल्ट के बाद यह साफ हो गया कि रणतुंगा ने मैच के दौरान मुरलीधरन का साथ देकर गलत नहीं किया था।
मुरली धरन के एक्शन पर आगे भी खड़े होते रहे सवाल
आपको बता दें कि इस विवादित मैच के बावजूद मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल उठना बंद नहीं हुआ। करियर में 800 टेस्ट विकेट और 534 वनडे विकेट लेने वाले इस दिग्गज खिलाड़ी के ऐक्शन पर मैच रेफरी क्रिस बॉड ने 16 मार्च 2004 को सवाल खड़े किये थे। इसी मैच में मुरलीधरन ने अपनी 'दूसरा' गेंद से कहर बरपाते हुए 500 टेस्ट पूरे किये थे। मुरलीधरन एक बार फिर से पास हुए।
2006 में भी मुरलीधरन को वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में बायोमेकेनिकल टेस्टिंग करानी पड़ी जहां पर एक बार फिर उनका एक्शन वैध पाया गया।