अलग स्तर का जुनून भर गए युवाओं में
12 जुलाई 2017, ये वो समय था जब शास्त्री ने अनिल कुंबले की जगह लेकर मुख्य कोच का पद संभाला था। इससे पहले वह 2014 से 2016 तक टीम इंडिया के डायरेक्टर रह चुके थे। ऐसे में शास्त्री से बड़ी उम्मीदें तभी बन गईं थी, जिसपर वे खरे भी उतरे। हां, एक बात का मलाल रहेगा। वो यह कि उनके कार्यकाल में भारत कोई आईसीसी ट्राॅफी नहीं जीत सका, लेकिन पिछले 4 सालों में टीम का दबदबा खूब रहा है। शास्त्री ने उन खिलाड़ियों को पहचान की जो आईपीएल में जबरदस्त खेले। ना उनकी पहचान की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माैके भी दिए। उन्होंने युवाओं में अलग स्तर का जुनून भरा। यानी कि किसी भी हालात में किसी भी टीम के खिलाफ खुलकर खेलना, चाहे परिणाम कुछ भी हो। यही कारण रहा कि प्लेइंग इलेवन में बदलाव भी लगातार देखने को मिलते रहे, जो सही साबित हुए, लेकिन आईसीसी टूर्नामेंट में कईयों ने ऐसी नीति पर सवाल भी उठाए।
शास्त्री को सफल कोच बनाता ये परिणाम
भारतीय टीम ने शास्त्री के कोच रहते ऑस्ट्रेलिया में दो टेस्ट सीरीज जीती। भारतीय टीम ने इसी साल अगस्त-सितंबर में इंग्लैंड में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेली, जिसमें 2-1 की अजय बढ़त बनाई। ये वो परिणाम हैं जो शास्त्री को एक सफल कोच बनाते हैं। यही नहीं, उनके कार्यकाल में भारत ने 42 में से 24 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की। वहीं वनडे में तो टीम ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। भारत ने खेले 79 वनडे में से 53 में जीत दर्ज की। टी20आई की बात करें तो शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम 67 मैच खेली, जिसमें 43 मैच जीते। कुल मिलाकर शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम का सभी फाॅर्मेट में जीत का प्रतिशत 65 फीसदी रहा। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि टीम ने उनकी देखरेख में कितनी तरक्की की है। इसके अलावा भारतीय टीम टेस्ट में भी लंबे समय तक नंबर वन रैंकिंग में रही।
कई खिलाड़ी डर पाए डेब्यू
शास्त्री के कार्यकाल में यह भी दिखा कि देश में क्रिकेटरों की कमी नहीं है। आज बीसीसीआई के पास इतने विकल्प हैं कि एक ही समय दो टीमें मैदान पर उतार सकती हैं। जब शास्त्री टीम के साथ जुड़े थे, तब से अब तक 24 युवाओं को वनडे में डेब्यू करने का माैका मिला तो वहीं टेस्ट में 14 खिलाड़ियों को डेब्यू करते देखा गया। इसके अलावा 22 युवा टी20 क्रिकेट में डेब्यू करते दिखे। अभी तक किसी भी कोच के कार्यकाल में इतने खिलाड़ियों को डेब्यू करने का माैका नहीं मिला। ऐसा नहीं है कि इन्हें कम माैके भी दिए गए हैं। शास्त्री ने उन खिलाड़ियों पर बार-बार भरोसा दिखाया जो भविष्य में बड़े तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। रिषभ पंत, हार्दिक पांड्या, युजवेंद्र चहल उनमें से एक रहे हैं जिन्हें शास्त्री ने खूब सराहा। शास्त्री के कार्यकाल में भले ही आईसीसी ट्राॅफी नहीं आई, लेकिन वो ऐसे खिलाड़ी बीसीसीआई को साैंप चुके हैं जो भविष्य में बड़े खिलाड़ी साबित होंगे, साथ ही ट्राॅफी जीतने में भी कभी कामयाब होंगे।